Samowati Samawasya 2025: तिथि, व्रत विधि और महत्व
Somowati Amavasya या सोमवती अमावस्या तब आती है जब अमावस्या (अंधकारमयी रात्रि) सोमवार को पड़े। यह दिन अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। 2025 में यह शुभ तिथि दो बार पड़ेगी।
- 1. सोमवार, 26 मई 2025 – अमावस्या तिथि: 26 मई दोपहर 12:11 बजे से 27 मई सुबह 8:31 बजे तक।
- 2. सोमवार, 30 जून 2025 – यह वर्ष की दूसरी सोमवती अमावस्या होगी।
धार्मिक महत्त्व
सोमवती अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान, पितृ तर्पण और व्रत का विशेष महत्व है। यह दिन विशेष रूप से:
- पति की लंबी उम्र की कामना के लिए स्त्रियों द्वारा व्रत किया जाता है।
- पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए तर्पण और दान करना लाभकारी होता है।
- सुख-समृद्धि और आत्मिक शुद्धि के लिए यह दिन श्रेष्ठ है।
व्रत एवं पूजा विधि
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगा जल से स्नान करें।
- तुलसी एवं पीपल के वृक्ष की पूजा करें और परिक्रमा करें (पीपल की 108 बार)।
- पितरों को जल तर्पण दें और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।
- सावित्री कथा या सोमवती व्रत कथा का पाठ करें।
- दान करें – अन्न, वस्त्र, दक्षिणा, आदि।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक ब्राह्मण कन्या ने अपनी माँ की सलाह पर सोमवती अमावस्या पर तुलसी और पीपल की पूजा की और उसे सौभाग्य की प्राप्ति हुई। भगवान विष्णु और शिव की विशेष कृपा इस दिन प्राप्त होती है।
क्या करें इस दिन?
- स्नान – पवित्र नदियों में स्नान अत्यंत फलदायी होता है।
- दान – वस्त्र, अन्न, धन का दान करें।
- पितृ तर्पण – पूर्वजों को जल एवं तिल अर्पित करें।
- व्रत – उपवास रखें और भगवान शिव/विष्णु का ध्यान करें।
FAQs
Q1: सोमवती अमावस्या कब है 2025 में?
26 मई और 30 जून 2025 को सोमवती अमावस्या पड़ेगी।
Q2: इस दिन कौन सा व्रत किया जाता है?
सोमवती अमावस्या व्रत, जिसमें महिलाएं विशेष रूप से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।
Q3: क्या इस दिन पितृ तर्पण कर सकते हैं?
हाँ, यह दिन पितृ तर्पण और पितृ दोष निवारण के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
निष्कर्ष
2025 में सोमवती अमावस्या दो बार पड़ रही है, जो एक दुर्लभ योग है। यह दिन पवित्रता, तप, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। धार्मिक नियमों का पालन कर पुण्य प्राप्त करें और जीवन को शुद्ध और सुखमय बनाएं।
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