कई सालों से रुकी पड़ी कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) एक बार फिर से शुरू होने जा रही है। भारत और चीन के बीच बीते कुछ समय से जारी तनाव में कमी आने के बाद यह बड़ा फैसला लिया गया है। विदेश मंत्रालय (MEA) जल्द ही इसको लेकर एक आधिकारिक नोटिस जारी करेगा। यह खबर उन श्रद्धालुओं और एडवेंचर प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है जो इस पवित्र और अद्भुत यात्रा का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।
विदेश मंत्रालय जल्द ही यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, तिथियों और गाइडलाइंस की घोषणा करेगा। पहले की तरह इस यात्रा को दो मार्गों से किया जा सकता है:
1. लीपुलेख पास (उत्तराखंड के रास्ते)
2. नाथुला पास (सिक्किम के रास्ते)
कैलाश मानसरोवर क्यों है इतना पवित्र?
भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील को हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और बोन धर्म में अत्यधिक महत्व प्राप्त है।
यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा, आत्मचिंतन और चमत्कारी अनुभवों के लिए जाना जाता है।
यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:
यात्रा की अवधि: लगभग 24 से 30 दिन
कुल दूरी: करीब 1,000 किमी
आयु सीमा: 18-70 वर्ष
स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अनिवार्य
पासपोर्ट जरूरी
हाई अल्टीट्यूड ट्रेनिंग आवश्यक
कैसे करें रजिस्ट्रेशन? (How to Register):
रजिस्ट्रेशन के लिए विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जाएं:
https://kmy.gov.in
यहाँ आप अपनी व्यक्तिगत जानकारी, पासपोर्ट डिटेल्स, मेडिकल रिपोर्ट्स और अन्य जरूरी दस्तावेज अपलोड करके आवेदन कर सकते हैं।
ज्यादा बार पूछे जाने वाले सवाल
Q1. कैलाश मानसरोवर यात्रा कब शुरू होगी?
उत्तर: यात्रा 2025 में गर्मियों (मई-जून) में शुरू होने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय जल्द तारीखें घोषित करेगा।
Q2. यात्रा का खर्च कितना होगा?
उत्तर: यात्रा का खर्च लगभग ₹1.5 लाख से ₹2 लाख के बीच होता है, जो रूट और सुविधाओं पर निर्भर करता है।
Q3. क्या यह यात्रा शारीरिक रूप से कठिन होती है?
उत्तर: हां, यह एक हाई-एल्टीट्यूड ट्रेक है, जिसमें अच्छी फिजिकल फिटनेस और मेडिकल सर्टिफिकेट जरूरी है।
Q4. क्या महिलाओं और बुजुर्गों को अनुमति है?
उत्तर: हां, यदि वह स्वास्थ्य परीक्षण में फिट पाए जाते हैं तो महिलाएं और बुजुर्ग भी यात्रा कर सकते हैं।
Unbelievable Facts About Kailash Mansarovar (अविश्वसनीय तथ्य):
कोई भी अभी तक कैलाश पर्वत की चढ़ाई नहीं कर सका है।
मानसरोवर झील का पानी इतना शांत है कि उसमें साफ प्रतिबिंब दिखाई देता है।
शिवभक्त मानते हैं कि यहां भगवान शिव और माता पार्वती आज भी ध्यान में लीन हैं।
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