Ayodhya Ram Mandir: Ek Pauranik Safar
प्रारंभ: भगवान राम की जन्मभूमि
कथा शुरू होती है त्रेतायुग से, जब प्रभु श्रीराम का जन्म अयोध्या नगरी में राजा दशरथ के घर हुआ। यहीं पर वह बाल लीलाएं करते, राजकाज सीखते और अंततः रावण वध कर धर्म की स्थापना करते हैं। युग बीतते गए, परंतु अयोध्या में राम लला के होने का विश्वास हिंदू समाज में बना रहा।
मंदिर का विध्वंस और बाबरी मस्जिद
1528 में मुगल सेनापति मीर बाकी ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद बनवाई, जिसे ‘बाबरी मस्जिद’ कहा गया। इसके बाद सदियों तक संघर्ष चलता रहा – मंदिर बनाम मस्जिद की लड़ाई, जिसे समाज, राजनीति और धर्म ने और पेचीदा बना दिया।
आंदोलन की चिंगारी
1980 के दशक में विश्व हिंदू परिषद (VHP) और अन्य संगठनों ने मंदिर निर्माण के लिए अभियान छेड़ दिया। 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा ने पूरे देश को झकझोर दिया। 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी ढांचे को गिरा दिया, जिससे पूरे देश में दंगे भड़क उठे।
कानूनी लड़ाई
बाबरी विध्वंस के बाद मामला कोर्ट में चला गया। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मीन को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला दिया। लेकिन 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए ज़मीन को रामलला विराजमान को सौंप दिया और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
2020 में भारत सरकार ने ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ का गठन किया, जिसे मंदिर निर्माण का दायित्व सौंपा गया। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन कर निर्माण की नींव रखी।
निर्माण और भव्य स्वरूप
राम मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में हो रहा है। इसमें 3 मंज़िलें, 5 मंडप और 392 खंभे होंगे। मंदिर की लंबाई 360 फीट, चौड़ाई 235 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। मंदिर परिसर में राम कथा संग्रहालय, डिजिटल गैलरी और यज्ञशाला जैसी सुविधाएं भी होंगी।
प्रभु राम का पुनः आगमन
22 जनवरी 2024 को रामलला का भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हुआ। पूरे देश ने दीप जलाए, भक्ति गीत गाए, और हर कोना ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष से गूंज उठा। यह दिन केवल मंदिर निर्माण का नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं के विश्वास की जीत थी।
एक युग का समापन, नए युग की शुरुआत
अयोध्या आज फिर से प्रभु श्रीराम की नगरी बन चुकी है। मंदिर न केवल एक स्थापत्य चमत्कार है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना, आस्था और अखंडता का प्रतीक है। यह कहानी बताती है कि सत्य को चाहे जितनी देर लगे, वह विजयी होता है।
Ram Mandir: अगले कदम और भविष्य की योजनाएँ
Updated: May 2025
मुख्य पुजारी (Chief Priest)
वर्तमान में श्री रामलला विराजमान के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी हैं। वे 1992 से रामलला की सेवा कर रहे हैं और अब भव्य राम मंदिर में भी पूजा-अर्चना का नेतृत्व कर रहे हैं।
प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालु (Daily Visitors)
मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रोजाना 1.5 से 2 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। त्योहारों के दौरान यह संख्या 5 लाख से भी अधिक हो जाती है।
भविष्य की योजनाएँ (Future Plans)
- पूर्ण निर्माण: मंदिर के दूसरे और तीसरे तल का कार्य 2025 के अंत तक पूरा किया जाएगा, जिसमें राम दरबार और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित होंगी।
- राम मंदिर परिसर: 70 एकड़ क्षेत्र में रामायण संग्रहालय, संस्कृत पाठशाला, यज्ञशाला, भक्त निवास और अन्य सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
- पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर: अयोध्या को विश्व धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने के लिए Maryada Purushottam Shri Ram Airport का विस्तार और राम पथ, भक्ति पथ जैसे मार्ग विकसित किए जा रहे हैं।
- संस्कृतिक आयोजन: 3D लाइट एंड साउंड शो और रामलीला जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे।
समापन विचार (Conclusion)
अयोध्या राम मंदिर अब सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना और आस्था का प्रतीक बन चुका है। यह मंदिर आने वाले समय में विश्व का एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र बनेगा।